विश्व वीणा का जो कल गान,
प्रेम वह गान!
तरुण पिक की जो मादक तान,
प्रेम वह तान!
कहाँ नारी के कोमल प्राण?
प्रेम में प्राण!
हॄदय करता नित किसका ध्यान?
प्रेम का ध्यान!
रूप के मधुवन का जो फूल,
प्रेम वह फूल!
कसकता उर में चिर जो शूल,
प्रेम वह शूल!
रहस जीवन लतिका का मूल?
प्रेम वह मूल!
दुःख-सुखमय संसृति की भूल?
प्रेम वह भूल!