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मुझमें / निर्मला गर्ग
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मुझमें हवाएँ आसमान और सौरमंडल हैं
इस धरती पर जो कुछ है वह सब है
ख़ाली है अभी बहुत सी जगह मुझमें |
रचनाकाल : 2004