भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
हाय, कहीं होता यदि कोई / सुमित्रानंदन पंत
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:29, 28 मई 2010 का अवतरण ("हाय, कहीं होता यदि कोई / सुमित्रानंदन पंत" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))
हाय, कहीं होता यदि कोई
बाधा हीन निभृत संस्थान
मर्म व्यथा की कथा भुलाकर
जहाँ जुड़ा सकता मैं प्राण!
वहीं कहीं छिप उमर अकिंचन
करता क्षण भर को विश्राम,
जीवन पथ की श्रांति क्लांति हर
करता इच्छित मदिरा पान!