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क्षमा यदि कर न सके अपराध / गुलाब खंडेलवाल

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क्षमा यदि कर न सके अपराध
तो दे शक्ति दंड सहने की, है यह अंतिम साध
 
'सारे धर्म छोड़ मुझको धर
मैं कुल पाप हरूँगा, मत डर
तेरी यह वाणी करुणाकर!
यदपि गाँठ ली बाँध
 
पग-पग पर माना प्रमाण है
मेरा कितना तुझे ध्यान है
दुःख से करता रहा त्राण है
तेरा प्रेम अगाध
 
फिर भी यदि पायें न नियम टल
कटें न भोगे बिना कर्मफल
तो बल दे, मैं बनूँ न चंचल
जब शर ताने ब्याध

क्षमा यदि कर न सके अपराध
तो दे शक्ति दंड सहने की, है यह अंतिम साध