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एक आधुनिक प्रार्थनागीत / लीलाधर मंडलोई
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आओ बाबू साहब आओ
भरी नींद से हमें जगाओ
पियो विदेशी, मुर्गा खाओ
रात-रात भर हमें नचाओ
फोटू खींचो, फिलम बनाओ
जब तक चाहो हमें गवाओ
आओ बाबू साहब आओ
जितना चाहो लूटो खाओ
किस बैरी की ये कुचाल है
हमरो जीबो तक मुहाल है
कब लौं उल्टा करम चलेगा
हमरे संग धतकरम चलेगा
जाओ बाबू साहब जाओ
नहीं नींद से हमें जगाओ