भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
एक कविता उदासी की / कुमार सौरभ
Kavita Kosh से
Kumar saurabh (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:55, 30 मई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: *एक कविता उदासी की / कुमार सौरभ {{KKGlobal}} {{KKRachna ।रचनाकार= कुमार सौरभ }} <poem> …)
- एक कविता उदासी की / कुमार सौरभ
{{KKRachna ।रचनाकार= कुमार सौरभ }}
बचपन में दादी
सुनाती थी एक कहानी
सफ़ेद घोड़ी पर चढ़कर
एक राजकुमार आता था
और अपनी प्रिय राजकुमारी को
ब्याह कर ले जाता था राजमहल
उस उदास लगने वाले
घर के सामने से
लेकिन भूल से भी
कोई राजकुमार नहीं गुजरता
ऐसा नहीं है कि
इस घर की राजकुमारियों में कोई कमी है
सिबाय इसके कि
इस घर से लक्ष्मी रहती है उदास
घर की राजकुमारियों की तरह
जिनके सपनों में भी नहीं होता
सफ़ेद घोड़ी वाला राज कुमार
सपने भी तब आते हैं
जब तकिये के नीचे नगद हो !
( प्रकाशित- वागर्थ: नवम्बर 2007)