भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
बाहर भीतर ऊपर नीचे / सुमित्रानंदन पंत
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 21:37, 31 मई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुमित्रानंदन पंत |संग्रह= मधुज्वाल / सुमित्रान…)
बाहर भीतर ऊपर नीचे
जुटा अनंत समाज,
मायामय की रंग भूमि में
छाया-अभिनय आज!
इंद्रजाल का खेल हो रहा,
दीप सूर्य, ग्रह, चाँद,
स्वप्नाविष्ट खेलते सब जन
यहाँ सहर्ष विषाद!