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तूस और क़ाऊस देश से / सुमित्रानंदन पंत
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तूस और क़ाऊस देश से
एक बूँद मदिरा सुंदर,
क़ैक़ुवाद के सिंहासन से
सुघर प्रिया के मदिराधर!
मधुपायी जो नाला करता
उमर नित्य उठ प्रातःकाल
सौ मुल्लाओं के अजान से
वह प्रभु को प्रिय है बढ़कर!