भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

पहले तो जीवन के अनमोल मोती / गुलाब खंडेलवाल

Kavita Kosh से
Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 06:30, 2 जून 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=रेत पर चमकती मणियाँ / गुल…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


पहले तो जीवन के अनमोल मोती
हम दोनों हाथों से
लुटाते हैं
और फिर आयु के शेष दिन
उनमें से एक-एक को
ढूँढने में बिताते हैं