Last modified on 2 जून 2010, at 12:49

ओ मधुपायी! / गुलाब खंडेलवाल

Vibhajhalani (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:49, 2 जून 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल |संग्रह=कस्तूरी कुंडल बसे / गुला…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


ओ मधुपायी!
जो समय बीत चुका
वह लौटकर आनेवाला नहीं है,
तेरे हाथ में प्याला तो है,
क्या हुआ जो प्याले में हाला नहीं है!
कल्पनाओं में जीता जा
आप अपने को ही पीता जा!