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गुब्बारेवाला, गुब्बारा और पूजा / मुकेश मानस

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अपूर्वा के तीसरे जन्मदिन पर

1

तीन साल की पूजा
इंतज़ार कर रही है
गली में झाँकती हुई

पूजा को सुननी है
दूर से पास आती
पीपनी की आवाज़

गली में घुसते ही
बजाता आता है गुब्बारे वाला
जिसे हमारे घर तक


2

गुब्बारे वाला पीपनी बजा रहा है
पूजा सुन रही है
पीपनी से निकलकर
हवा में फैलती धुन

एक अदभुत ख़ुशी चमक रही है
उसके चेहरे पर

पूजा की ये ख़ुशी
उसके लिए
कितनी बड़ी है

इस ख़ुशी का एहसास
बड़े नहीं कर पाते हैं
वे बच्चे नहीं बन पाते हैं

3

पूजा गुब्बारा हिलाती है
गिराती, उछालती है
ख़ूब ख़ूश होती है

गुब्बारा फूटता है अचानक
पूजा सहमती है, सोचती है
उसकी नन्हीं आँखों में
विस्मय उभर आता है

एक दिन पूजा जान जाएगी
कि उसने जाना है
खेल-खेल में
कितना बड़ा सच
उस दिन पूजा बड़ी हो जाएगी

मेरी ये दुआ है
कि बड़ी होती पूजा में
जीवित रहे हमेशा
एक नन्हीं, शरारती पूजा

रचनाकाल : 1999