दोस्त के नाम
वो तुम्हारा मुस्कुराता हुआ चेहरा
कि जैसे किसी सहरा में
दिख जाए कोई फूल
वो हर तार झनझनाती
पुरकशिश आवाज़
जैसे किसी वायलिन से फूटता हो
प्यार का सैलाब
वो खुशगवार आंखें तुम्हारी
कि जैसे स्याह रात में
दो जुगनू जगमगाते हों
वो जोश में उट्ठे हुए दो हाथ
देते हुए सदा
करते हुए आग़ाज़
रचनाकाल:1992