भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चुनावी पैरोड़ी / मुकेश मानस

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आएंगे वो आएंगे
वोट मांगने आएंगे

वोट मांगने की खातिर
अपनी शक्ल दिखाएंगे

हाथ तोड़ते रहते हैं जो
हाथ जोड़ते आएंगे

गुंडे, चोर, उचक्के सारे
शक्ल बदलकर आएंगे

मंत्री बनते ही जनमत को
असली रूप दिखाएंगे

रचनाकाल:1997