Last modified on 7 जून 2010, at 02:28

हाथ दिया उसने मेरे हाथ में / क़तील

Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:28, 7 जून 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=क़तील शिफ़ाई }}{{KKVID|v=ZbcBksFagAA}} Category:गज़ल <poem> हाथ दिया उस…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

यदि इस वीडियो के साथ कोई समस्या है तो
कृपया kavitakosh AT gmail.com पर सूचना दें

हाथ दिया उसने मेरे हाथ में।
मैं तो वली बन गया इक रात मे॥

इश्क़ करोगे तो कमाओगे नाम
तोहमतें बटती नहीं खैरात में॥

इश्क़ बुरी शै सही पर दोस्तो।
दख्ल न दो तुम मेरी हर बात में॥

हाथ में कागज़ के लिए छतरियाँ
घर से न निकला करो बरसात में॥

रत बढ़ाया उसने न 'क़तील' इसलिए
फर्क था दौनो के खयालात में॥