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एक सर्द सुबह / निकोलस गियेन

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सोचता हूँ उस सर्द सुबह के बारे में
जब मैं गया था तुमसे मिलने
वहाँ, जहाँ हवाना जाना चाहता है खेतों की खोज में,
वहाँ तुम्हारे रौशन उपांत में।
मैं अपनी रम की बोतल
और अपनी जर्मन कविताओं की किताब के साथ,
जो आख़िरकार तुम्हें दे आया था तोहफ़े में।
(या फिर रख लिया था तुमने ही उसे?)

माफ़ करो, लेकिन उस दिन
मुझे लगी थीं तुम एक छोटी अकेली बच्ची,
या शायद एक भीगी नन्ही गौरैया।

मैंने पूछना चाहा था तुमसे :
तुम्हारे घोसलें के बारे में
और तुम्हारी माँ और पिता के बारे में
लेकिन नहीं पूछ पाया था।

तुम्हारे कुर्ते के वितल से,
जैसे गिरीं थीं दो गिन्नियाँ एक कुंड में,
तुम्हारी छातियों ने बहरा कर दिया था मुझे अपने शोर से।

मूल स्पानी भाषा से अनुवाद : श्रीकान्त