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प्राणाकांक्षा / सुमित्रानंदन पंत
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बज पायल छम
छम छम!
उर की कंपन में निर्मम
बज पायल छम
छम छम!
हृदय रक्त रंजित सुंदर
नृत्य मुग्ध प्रिय चरणों पर
प्राणों की स्वर्णाकांक्षा सम
प्रणय जड़ित, चंचल, निरुपम,
बज पायल छम
छम छम!
उद्वेलित हो जब अंतर
व्यथा लहरियों पर पग धर
जीवन की गति लय से अक्लम
पद उन्मद, मत थम, मत थम
बज पायल छम
छम छम!