भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

साधना / सुमित्रानंदन पंत

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:36, 8 जून 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुमित्रानंदन पंत |संग्रह= स्वर्णधूलि / सुमित्र…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

जीवन की साधना
असफल जो सफल बना
सिद्धि सही चिर तपना!
जीवन की साधना!

विपदाएँ,
दुराशाएँ
नष्ट मुझे कर जाए,
भ्रष्ट न हो पथ अपना!

चूर्ण हुई जो आशा,
पूरी न जो अभिलाषा,
चूर्ण हुई जो आशा—

भूषित हो उनसे मन
लांछन से शशि शोभन
सत्य बने जो स्वपना!

जीवन की साधना!