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साधना / सुमित्रानंदन पंत
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जीवन की साधना
असफल जो सफल बना
सिद्धि सही चिर तपना!
जीवन की साधना!
विपदाएँ,
दुराशाएँ
नष्ट मुझे कर जाए,
भ्रष्ट न हो पथ अपना!
चूर्ण हुई जो आशा,
पूरी न जो अभिलाषा,
चूर्ण हुई जो आशा—
भूषित हो उनसे मन
लांछन से शशि शोभन
सत्य बने जो स्वपना!
जीवन की साधना!