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लालटेन / मनोज श्रीवास्तव

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लालटेन

रोशनी बांटने के लिए मज़बूर नहीं किया जा सकता है लालटेन को चुनाव चिह्न बनाकर या, उसकी डमी में बल्ब जलाकर

कब्रिस्तानी शहरों से गांव के जीवाश्म बरामदकर उसे फिर नहीं जिलाया जा सकता क्योंकि लालटेन युग ढल चुका है लालटेन संस्कृति मर चुकी है

लालटेन-सम्बद्ध अस्मिता मृतप्राय है मुझे याद है वो सांझ जब दुआरों पर झूलाते लालटेन मिचमिचाकर बतियाते थे बिरादरी गैर-बिरादरी में तालमेल बैठाते थे पंचायतों में पंचों के बीच फैसलों को सुकर बनाते हुए सम्बंधों में पड गए फफोलों पर पीड़ाहर अवलेह लगाते थे

जब से वे छोड़ गए हैं देहात सबंधों की उल्टी गंगा बहने लागी है उन पर शैतानी तहज़ीब हावी होती जा रही है

कहां हैं उटंग कुरते पहने गदेले खेल-खिलवाड़ लालटेन की परिक्रमा करते जो बिलायाती सी एफ एल लाईट में सनकर मुंह निपोरते जा रहे हैं देसीपन से

वे आज भी वहाँ रोशनी में पुते बैठे हैं एक मनहूसियत के साथ लालटेनों के इतिहास में लौटने के लिए क्या वे बुज़ुर्गों की नज़रों से लालटेनों को देख रहे हैं जिससे लालटेनों का गम उन्हें भी सताने लगा है या, उनके बिना ममता धुंधलाती जा रही है जो लालटेन की रोशनी में झक्क सफेद दिखाई देती थी

मैं पाल सकता हूं ऐसा वहां क्योंकि मैं लालटेन युग के बाल्यमार्ग से गुजर चुका हूं तत्समय किसी ऐसी ही मरी संस्कृति के गम में

बित्ते-भर की टी-शर्ट और चुस्त बरमुडा पहनी लड़कियाँ सुनी जाती हैं अपनी माम से पूछते हुए 'यार, लालटेन-लालटेन क्या होता है क्योंकि तुम्हें देहात से भगाकर महानगर में लाया गया था' इस पर मायूस हुई मांओं की चुप्पी पर लड़कियाँ पिच्च से मुंह बिचकाकर ब्वायफ्रेंडों के नाजायज ख्यालों में जकड़कर खो जाती हैं

तरक्की के हाथों लालटेनों का गला घोतना मतलब यह कि पुराखों की बरसी पर व्हिस्की के साथ फ्राय फिश खाते हुए हाउँ-हाउँ भांगड़ा करना

चौंधियाती रोशनी फांकते हुए बीच सड़क चश्मेवाली जोड़ी बाज आ जाती अपनी हरक़तों से अगर सामने बुज़ुर्ग लालटेन होता

उफ्फ़! वह तो बेडरूम से बाजार तक गुम है सो, सम्बंधों की खिचडी भदभदा रही है

लालटेन में लपलपाती रोशनी से यानी, कोई दढयल बुज़ुर्ग अपनी तर्ज़नी उठाकर खिसियानी भौंहें तानकर घुडुकने-बरजाने के लिए हृदयंगम दुर्भावनाओं पर लगाम कसने के लिए सामने बैठा है

फिलवक्त, लालटेन के बगैर हम अपने उस्ताद पुरखों से दूर हो गए हैं अनापशनाप युग में लिप्त हो गए हैं