Last modified on 11 जून 2010, at 23:54

कालीबंगा: कुछ चित्र-1 / ओम पुरोहित ‘कागद’

Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:54, 11 जून 2010 का अवतरण (कालीबंगा: कुछ चित्र-1 / ओम पुरोहित कागद का नाम बदलकर कालीबंगा: कुछ चित्र-1 / ओम पुरोहित ‘कागद’ कर दिया )

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

 
इन ईंटों के
ठीक बीच में पड़ी
यह काली मिट्टी नहीं
राख है चूल्हे की
जो चेतन थी कभी

चूल्हे पर
खदबद पकता था
खीचड़ा
कुछ हाथ थे
जो परोसते थे।


राजस्थानी से अनुवाद : मदन गोपाल लढ़ा