भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

क्योंकि मैं एक मुसलमान हूँ / विष्णु नागर

Kavita Kosh से
Pradeep Jilwane (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:51, 14 जून 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विष्णु नागर |संग्रह=घर से बाहर घर / विष्णु नागर }} <…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मेरे दस सिर हैं
क्‍योंकि मैं एक मुसलमान हूं
मेरे बीस हाथ हैं
क्‍योंकि मैं एक मुसलमान हूं
मैंने सीता का अपहरण किया है
क्‍योंकि मैं एक मुसलमान हूं
सोने की लंका मेरी राजधानी है
क्‍योंकि मैं एक मुसलमान हूं
मुझे खाक में मिला दिया जाएगा
क्‍योंकि मैं एक मुसलमान हूं

लेकिन मेरी तुलना रावण से करना भी ज्‍यादती है
क्‍योंकि मैं एक मुसलमान हूं

मेरी क्‍या हैसियत
कि मैं अट्टहाल कर सकूं
मेरी क्‍या हस्‍ती
कि मैं सीता का अपहरण करने की सोच भी सकूं
मैं हूं क्‍या
जो सोने की लंका में रह सकूं
मैंने ऐसा किया क्‍या जो तुलसी के राम के हाथों
मरने की कल्‍पना भी कर सकूं

क्‍योंकि मैं एक मुसलमान हूं