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इन्कार / परवीन शाकिर
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नज़्में
- एक पैग़ाम / परवीन शाकिर
- एक दफ़नाई हुई आवाज़ / परवीन शाकिर
- एक मंज़र / परवीन शाकिर
- उसने फूल भेजे हैं / परवीन शाकिर
- तुम्हारी ज़िन्दगी में / परवीन शाकिर
- वह बाग़ में मेरा मुंतज़िर था / परवीन शाकिर
- यासिर अरफ़ात के लिए / परवीन शाकिर
ग़ज़लें
- सज गई बज़्म-ए-रंग-ओ-नूर एक निगाह के लिए / परवीन शाकिर
- कुछ ख़बर लाई तो है बादे-बहारी उसकी / परवीन शाकिर
- ज़िन्दगी कूये-मलामत में तो अब आई है / परवीन शाकिर
- तेरी ख़ुशबू का पता करती है / परवीन शाकिर
- वो कैसी कहाँ की ज़िन्दगी थी / परवीन शाकिर
- खिला है आज दिल-ए-लाल-आ-फ़ाम किसके लिए / परवीन शाकिर
- बैठी है बाल खोले हुए मेरे पास शब / परवीन शाकिर
- अब और जीने की सूरत नज़र नहीं आती / परवीन शाकिर
- मक़तल-ए-वक़्त में ख़ामोश गवाही की तरह / परवीन शाकिर
- सय्याद तो इमकान-ए-सफ़र काट रहा है / परवीन शाकिर
- सैर-ए-दुनिया करे दिल, बाग़ का दर तो खोले / परवीन शाकिर
- ज़िन्दगी की धूप में इस सर पे इक चादर तो है / परवीन शाकिर
- गुलाबी फूल दिल में खिल चुके थे / परवीन शाकिर
- जाने कब तक रहे यही तरतीब / परवीन शाकिर