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भलाई / दीनदयाल शर्मा
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आपस में हम सब हैं भाई,
नहीं करें हम कभी लड़ाई ।
प्रेम मधुरता का रस घोलें,
इक दूजे से मीठा बोलें ।
आओ मिलकर बात करें हम,
आपस में बाँटें खुशियाँ गम ।
बड़े लोग सब दिन और रातें,
जाति-पाँति की करते बातें ।
हम सब बालक जात न जानें,
सब जन को हम अपना मानें ।
भेदभाव की मेटें खाई,
इसमें हम सब की भलाई ।।