Last modified on 21 जून 2010, at 12:27

विजेता की हँसी / मदन कश्यप

Pradeep Jilwane (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 12:27, 21 जून 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार = मदन कश्यप |संग्रह = नीम रोशनी में / मदन कश्यप }} {{KKCat…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


विजेता हंस रहा है
बिल्‍कुल अपने पूर्वाधिकारी जैसी हंसी
ऐसे ही हंसते रहे होंगे
इतिहास के तमाम विजेता
ऐसे ही हंसे होंगे
एशिया की महान नगर सभ्‍यता में
काठ के घोड़े में छुपकर घुस आए
बर्बर यूनानी योद्धा
ऐसे ही हंसा होगा
बेबीलोन के तख्‍त पर बैठकर सिकंदर

ऐसा पहली बार तो हुआ नहीं
कि असभ्‍य निर्दयी लुटेरे
महान विजेता कहला रहे हैं
पहली बार तो नहीं
बेचैन हुई है सभ्‍यता
आहत हुई है संस्‍कृति
पहली बार तो नहीं
इतिहास से खेल रहे हैं
हथियारों से खेलने वाले!