भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
और तुम / रमेश कौशिक
Kavita Kosh से
Kaushik mukesh (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:03, 27 जून 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रमेश कौशिक |संग्रह=चाहते तो... / रमेश कौशिक }} <poem> पे…)
पेड़
पहनते नहीं हैं
पैंट
नदी
नहीं बाँधती हैं
साड़ी
फूलों को चूमो
मुँह नहीं फेरेंगे
और तुम .....
</poem