Last modified on 30 जून 2010, at 14:28

जब देखता हूं / सांवर दइया

Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:28, 30 जून 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: <poem>धरती को इसी तरह रौंदी-कुचली देखता हूं जव देखता हूं आकाश को इसी त…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

धरती को
इसी तरह रौंदी-कुचली
देखता हूं
जव देखता हूं आकाश को
इसी तरह अकड़े-ऎंठे
देखता हूं
अब मैं
किस-किस से कहता फिरूं
आपना दुख -
यह धरती : मेरी मां !
यह आकाश : मेरा पिता !