Last modified on 1 जुलाई 2010, at 13:38

भीमसेन जोशी / वीरेन डंगवाल

Pradeep Jilwane (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:38, 1 जुलाई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वीरेन डंगवाल |संग्रह=स्याही ताल / वीरेन डंगवाल }} …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


मैं चुटकी में भर के उठाता हूं पानी की एक ओर-छोर डोर नदी से
आहिस्‍ता
अपने सर के भी ऊपर तक

आलिंगन में भर लेता हूं मैं
सबसे नटखट समुद्री हवा को

अभी-अभी चूम ली हैं मैंने
पांच उसांसें रेगिस्‍तानों की
गुजिश्‍ता रातों की सत्रह करवटें

ये लो
यह उड़ चली 120 की रफ्तार से
इतनी प्राचीन मोटर कार

यह सब रियाज के दम पर सखी
या सिर्फ रियाज के दम पर नहीं !
00