भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भूली पहचान / कर्णसिंह चौहान

Kavita Kosh से
Mukeshmanas (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:02, 1 जुलाई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कर्णसिंह चौहान |संग्रह=हिमालय नहीं है वितोशा / क…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


वासंती फूल सा
खिला बच्चा
कभी कभार
सड़क पर
मां से मिल जाता है
हाथ हिलाता है
आंखों में ढ़ूंढता
भूली पहचान
तुरत भाग
बच्चों में खो जाता है।