बरसात में नहाई
हरी पत्तियां
सोनल धूप की छुअन जो मिली
दिप-दिप कर खिल उठीं
कुछ और भरा
उनके भीतर हरा
हर छुअन के बाद
फिर-फिर भरा
कुछ और हरा
देखो
इनके दम से
अब हरा भरा है पेड़ पूरा !
बरसात में नहाई
हरी पत्तियां
सोनल धूप की छुअन जो मिली
दिप-दिप कर खिल उठीं
कुछ और भरा
उनके भीतर हरा
हर छुअन के बाद
फिर-फिर भरा
कुछ और हरा
देखो
इनके दम से
अब हरा भरा है पेड़ पूरा !