भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बैलेरिना / दिनेश कुमार शुक्ल

Kavita Kosh से
कुमार मुकुल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:54, 3 जुलाई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनेश कुमार शुक्ल |संग्रह=ललमुनियॉं की दुनिया }}…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

अब तुम्हारी ही नहीं है
ये तुम्हारी देह की लय
नदी-सा बहता हुआ आकाश है
और इसमें चन्द्रमा का वास है