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स्पर्श / मीना चोपड़ा

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यहीं से उठता है
 वह नगाड़ा
 वह शोर
  वह नाद

जो हिला देता है
        पत्थरों को
         झरनों को
          आकाश को
   वही सब जो मुझमें
            धरा है ।
       सिर्फ़ नहीं है
     तो एक स्पर्श
 जहाँ से

यह सब
उठता है!