Last modified on 4 जुलाई 2010, at 19:56

टूटना जरूरी है / गोबिन्द प्रसाद

Mukeshmanas (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:56, 4 जुलाई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोबिन्द प्रसाद |संग्रह=मैं नहीं था लिखते समय / ग…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


यह सुन्दर है
क्योंकि यह समुन्दर है

यह और भी सुन्दर हो सकता है
अगर धार के विरुद्ध
तुम
अपनी चुप्पी तोड़ दो
अगर तुम
तुकों के सहारे जीवन जीना छोड़ दो


टूटना ज़रूरी है
बनने के लिए
टूटना ज़रूरी है
सुन्दर होने के लिए
टूटना ज़रूरी है
समुन्दर होने के लिए