भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अमरू / गोबिन्द प्रसाद
Kavita Kosh से
Mukeshmanas (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:00, 4 जुलाई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोबिन्द प्रसाद |संग्रह=मैं नहीं था लिखते समय / ग…)
मैंने देखा:
एक चट्टान दूसरे पर
इस तरह ठहरी है
कि निचली चट्टान के नीचे
किनारे पर
जो छोटी-सी पथरीली कंकड़ी है
अगर यह हट जाए तो
तो यह अदना-सी कंकड़ी
मेरे मुहल्ले का अमरू है