Last modified on 5 जुलाई 2010, at 15:16

जब हँसने की घड़ी आई / गोबिन्द प्रसाद

Mukeshmanas (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:16, 5 जुलाई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=गोबिन्द प्रसाद |संग्रह=मैं नहीं था लिखते समय / ग…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


हँसने के लिए
       रोता रहा तमाम उम्र
और जब हसने की घड़ी आई
तब हँसना तो दूर
ढंग से मैं रोना भी भूल चुका था