भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सुखिया / ओम पुरोहित ‘कागद’
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:27, 6 जुलाई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: <poem>सुकाल से अकाल तक का जीवंत वृतांत है गांव से आया सुखिया । पड़ा ह…)
सुकाल से
अकाल तक का
जीवंत वृतांत है
गांव से आया सुखिया ।
पड़ा है
शहर में फुटपाथ पर
अपने परिवार के संग
ज्यों पड़ा हो
एक कविता संग्रह अनछुआ
किसी पुस्तकालय में ।