Last modified on 6 जुलाई 2010, at 13:45

केले का पेड़ हाथी की याद / वीरेन डंगवाल

Pradeep Jilwane (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:45, 6 जुलाई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वीरेन डंगवाल |संग्रह=स्याही ताल / वीरेन डंगवाल }} …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)


नीचे वाले पत्‍ते गाढ़े-हरे
झालर-झालर हुए मार बूंदों की खाकर
तुरही जैसा बंधा-बंधा
बढ़ रहा सुकोमल पात नवेला
उस पर देखो
एक काले मोटे चींटे की दौड़ अकेली

फूल खिलेगा फिर से वह सांवला-बैंजनी
सिकुड़े बक्‍कल वाला
रक्तिम घाव छिपाए
भीतर की परतों में
नोकीला-नतशिर केले का फूल सजीला !
लटका हुआ सूंड पर अपनी, कुल गुलदस्‍ता
अजब ढंग से याद दिलाएगा हाथी की

कैसी अजब याद वह हाथी की
खेलते हुए बच्‍चों के कलरव बीच
कॉलोनी के पार्क में
00