भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
शब्दों के घाव / राजेश कुमार व्यास
Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 03:51, 7 जुलाई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: <poem>चुन-चुन कर फेंक दिए हमने सभी अक्षर अंधे कुओं में। भाषा के चेहरे …)
चुन-चुन कर
फेंक दिए हमने
सभी अक्षर
अंधे कुओं में।
भाषा के चेहरे पर
इसी से लगे हैं
शब्दों के घाव।