भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

यह तो नहीं है त्राण / ओम पुरोहित ‘कागद’

Kavita Kosh से
Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:22, 7 जुलाई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: <poem>खेलता है थार अपने सीने पर लेता है सपने उकेरता है पानी। बिम्बित …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

खेलता है थार
अपने सीने पर
लेता है सपने
उकेरता है पानी।
बिम्बित पानी
आता है खिंचा पीने
कोई प्यासा मृग
सच्ची लाता है
नहीं उकेर पाता प्यास।
बरसों संग रह
नहीं जानता मृग
खेल भावना थार की
खो देता है प्राण
यह तो नहीं है त्राण।