Last modified on 9 जुलाई 2010, at 09:55

एक बुढ़िया का इच्छागीत / लीलाधर जगूड़ी

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:55, 9 जुलाई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKRachna |रचनाकार=लीलाधर जगूड़ी |संग्रह =चुनी हुई कविताएँ / लीलाधर जगूड…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

जब मैं लगभग बच्ची थी
हवा कितनी अच्छी थी

घर से जब बाहर को आई
लोहार ने मुझे दराँती दी
उससे मैंने घास काटी
गाय ने कहा दूध पी

दूध से मैंने, घी निकाला
उससे मैंने दीया जलाया
दीये पर एक पतंगा आया
उससे मैंने जलना सीखा

जलने में जो दर्द हुआ तो
उससे मेरे आँसू आए
आँसू का कुछ नहीं गढ़ाया
गहने की परवाह नहीं थी

घास-पात पर जुगनू चमके
मन में मेरे भट्ठी थी
मैं जब घर के भीतर आई
जुगनू-जुगनू लुभा रहा था
इतनी रात इकट्ठी थी ।