भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भरोसे की कविता / लीलाधर जगूड़ी

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:11, 9 जुलाई 2010 का अवतरण ("भरोसे की कविता / लीलाधर जगूड़ी" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

शरीर के भरोसे दिल
मज़दूर के भरोसे मिल
सरकार के भरोसे देश

लेकिन किसके भरोसे छोड़ी जाए जवान लड़की ?
किसके भरोसे छोड़ी जाए अकेली औरत ?

चीज़ों के भाव का
गुँडों के ताव का क्या भरोसा ?

काग़ज़ के ताव पर नहीं समाए जो
इतनी बड़ी शिकायत लिखाए जो
वह भी सोचता है कि गवाह का क्या भरोसा ?

बार-बार उभरता है एक डर
-परिवार को छोड़ेंगे घर के भरोसे
लेकिन किसके भरोसे पर छोड़ेंगे घर ?