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स्त्रियाँ / शहंशाह आलम

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स्त्रियाँ हैं इसलिए
फूटता है हरा रंग वृक्षों से
उड़ रहे सुग्गे से

स्त्रियाँ हैं इसलिए
शब्द हैं वाक्य हैं छन्द हैं
विधियाँ हैं सिद्धियाँ हैं
भाद्रपद हैं चैत्र है

इसलिए अचरज है
अंकुर हैं फूटने को आतुर ।