बोध
महास्वप्न की
वृत्ताकार जीवनमयता में
ठोस वायव अस्तित्त्व का
कटु यथार्थ भोग रहा हूं
कितना सच हैं--
सतत चढाव से सीमाबद्ध
यह जैविक अवसान
यह पतन
यह बोध
यह उन्माद!
बोध
महास्वप्न की
वृत्ताकार जीवनमयता में
ठोस वायव अस्तित्त्व का
कटु यथार्थ भोग रहा हूं
कितना सच हैं--
सतत चढाव से सीमाबद्ध
यह जैविक अवसान
यह पतन
यह बोध
यह उन्माद!