भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
म्हारी सेजाँ आवो जी लाल बिहारी / भारतेंदु हरिश्चंद्र
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:14, 10 जुलाई 2010 का अवतरण
म्हारी सेजाँ आवो जी लाल बिहारी।
रंग-रँगीली सेज सँवारी, लागी छे आशा थारी।
बिरह-बिथा बाढ़ी घणी ही, मैंसौं नहिं जात सँभारी।
’हरीचंद’ सो जाय कहो कोऊ तलफै छे थारे बिन प्यारी॥