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इनकी उनकी खिदमत करो / भारतेंदु हरिश्चंद्र
अनिल जनविजय
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इनकी उनकी खिदमत करो ।
रुपया देते देते मरो ।
तब आवै मोहिं करन खराब ।
क्यों सखि सज्जन नहिं खिताब ।