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घाव-४ / ओम पुरोहित ‘कागद’

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दर्द
उस में
नहीं था
जो घाव
चमडी के ऊपर था
जहां था
वहां का ज्ञान
पता न था ।

उस के
होने में
हथियार नहीं
आप थे
प्रत्यक्ष ।

अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"