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प्रीत-२ / ओम पुरोहित ‘कागद’
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प्रतीक्षा करते-करते
सोए
आपकी
हम
उलझ गए
चौरासी के चक्र में ।
जागेंगे
करेंगे
बातें
रोएंगे
पिछली प्रीत हेतु
अगले जन्म
मिलेंगे
जब कभी
किसी रूप में !
अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"