Last modified on 18 जुलाई 2010, at 04:39

शब्द-२ / ओम पुरोहित ‘कागद’

Neeraj Daiya (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:39, 18 जुलाई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: <poem>इस तरह व्यर्थ न गंवाओ शब्दों को सहेजने होंगे कुछ शब्द पुन: निकट …)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

इस तरह
व्यर्थ न गंवाओ
शब्दों को
सहेजने होंगे
कुछ शब्द
पुन: निकट
आने के लिए
मौन तोड़ने के निमित ।

अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"