भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आओ अब विचार करें / शास्त्री नित्यगोपाल कटारे

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:43, 19 जुलाई 2010 का अवतरण ("आओ अब विचार करें / शास्त्री नित्यगोपाल कटारे" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


आओ अब विचार करें
सामने रखें दर्पण
सत्य को स्वीकार करें
गवाँ चुके काफ़ी समय
और न गँवाएँ अब
उलझी हुई समस्या को
और न उलझाएँ अब
मिल जुलकर बैठें सभी
खुद पर उपकार करें
आओ अब विचार करें ।

सड़ते हुए घावों को
कब तक ढक पाएँगे
गोलियों से कब तक अपना
दर्द हम भुलाएँगे
साहस से खोलें और
खुद से उपचार करें
आओ अब विचार करें ।

जाति भेद वर्ग भेद
धर्म भेद त्यागेँ अब
कूप मण्डूकता की
निद्रा से जागें हम
आदमी है‚ आदमी से
आदमी-सा प्यार करें
आओ अब विचार करें ।

शकनु के षड्यन्त्रो मे
दुर्योधन व्यस्त है
बुद्धिजीवी भीष्म सारे
जाने क्यों तटस्थ हैं
न्याय का समर्थन
अन्याय का प्रतिकार करें
आओ अब विचार करें ।

भारत की वैज्ञानिक
सुपरिष्कृत भाषाएँ
हतप्रभ कुपुत्रो की
सुनकर परिभाषाएँ
अँग्रेज़ी छोड़ें
मातृ भाषा से प्यार करें
आओ अब विचार करें ।

सारे मुखपृष्ठों पर
गुण्डों के भाषण हैँ
कुण्ठित प्रतिभावों पर
तम का अनुशासन है
तथ्यों को समझें
भ्रम का बहिष्कार करें ।।

आओ अब विचार करें ।