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वर्तमान / संतोष मायामोहन
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माँ
मेरे पास बैठी
बीन रही है धनिये के दाने
(तिनके, कंकड़)
कर रही है भावों-अभावों की गणना
सआत- सआत ।
माँ,
हर महीने लाती है
महीने भर का राशन
और हर महीने दोहराती है
यही कि यही बात ।
अनुवाद : मोहन आलोक