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अभी-अभी / हरीश भादानी
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अभी-अभी
जगा हुआ निर्याम!
सृष्टि के
प्रारम्भ को प्रारुपति
विस्तारती अरुणाइयाँ अछोरों तक
और यह अभी अभी
सधा हुआ आयाम
शिखरों को परसने जा रहा है-
साक्षी है सूरजमुखी!
यह सब
बड़ी प्रतीक्षाबाद
अभी-अभी जन्मा हुआ परिणाम!