भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रेशम जाल-2 / इदरीस मौहम्मद तैयब

Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:09, 22 जुलाई 2010 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=इदरीस मौहम्मद तैयब |संग्रह=घर का पता / इदरीस मौह…)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

परछाइयाँ कोंपलों से
अपने रंगों को अभी तक समेटती हैं
और गीतों के बारे में चिन्तित हैं
मैं तुम्हें एक आवेग की तरह
ओझल होते देखता हूँ
या फिर मेरे अवसाद पर एक काँपते ज़ख़्म की मानिन्द गिरते
ख़ुशियाँ तुम्हारे आँसुओं में सो रही हैं
और भोर तुमसे गुज़र कर ही होती है ।


रचनाकाल : 21 अगस्त 2000

अंग्रेज़ी से अनुवाद : इन्दु कान्त आंगिरस